सोमवार, २५ मे, २०२०

शायरी की कुछ अलग पेशकश


१) अपनी तकदिर खुद बना 

किसी की राह ना कर।

उडान तो भर लेगा पगले

पहिले होसला तो बुलंद कर।




२) सोच में डूबा हूं

गजब ये दुनिया की

रफ़्तार देखकर।

धन खोज रहे है

इन्सानियत छोड़कर

और

भगवान धुंड रहे है

‌‌मॉ बाप छोड़कर।





३) कोई कितना के क्यू ना 

अमीर बने

पेट से जादा कभी खा 

नहीं सकता।

और 

मरने के बाद अपना धन 

कभी साथ नहीं ले जा सकता।





४) गम तो यूं ही आता

रहेगा जिन्दगी में

मगर

अपने लक्ष को ऎसे बुलंद

करना।

की गम भी डर जाए 

तुम्हारा हॉसला देखकर।





५) काटे जिस दिन

 बिखरे मिले रास्ते में

तो समझ लेना 

मंजिल के करीब पोहाच

 गए हो

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सोमेश्वर सिरसाट